Stones

रत्न निदान...


स्थायी रत्न निदान..

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रत्नों की शक्ति
रत्नों में अद्भूत शक्ति होती है. रत्न अगर किसी के भाग्य को आसमन पर पहुंचा सकता है तो किसी को आसमान से ज़मीन पर लाने की क्षमता भी रखता है. रत्न के विपरीत प्रभाव से बचने के लिए सही प्रकर से जांच करवाकर ही रत्न धारण करना चाहिए. ग्रहों की स्थिति के अनुसार रत्न धारण करना चाहिए. रत्न धारण करते समय ग्रहों की दशा एवं अन्तर्दशा का भी ख्याल रखना चाहिए. रत्न पहनते समय मात्रा का ख्याल रखना आवश्यक होता है. अगर मात्रा सही नहीं हो तो फल प्राप्ति में विलम्ब होता है.

प्रयोगशाला के अन्दर रत्नों का परिक्षण कराकर प्रयोगशाला (लेबोरेटरी) के प्रमाण पत्र के साथ रत्नों को प्राण प्रतिष्ठित व पूजित कर मुहूर्त से धारण करना जिससे आप को विशेष लाभ मिले । रत्नों में चमत्कारी शक्ति है जो ग्रहों के विपरीत प्रभाव को कम करके ग्रह के बल को बढ़ते है. आइये जानें कि भाग्य को बलवान बनाने के लिए रत्न किस प्रकार धारण करना चाहिए.

क्या होता है राशि रत्न ?

राशि रत्न परिचय (Introduction to Moonsign Gemstones)
रत्नों के विषय में सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि यह क्या होता है. रत्न मूल रूप से जैविक और अजैविक तत्व है. तृणमणि (Amber), मूंगा (Coral), मोती (Pearl), हाथी दांत (Lvory)जैविक रत्न हैं. प्राकृतिक रत्न खनिज के रूप में पृथ्वी के गर्भ से प्राप्त होता है. रत्न जितना सुन्दर होता है उतना ही उत्तम कोटि का होता है. रत्नों का कठोर होना भी इसका एक गुण होता है.

रत्नो के प्रकाशीय गुण (The effect of gemstone colors)
रत्नों में अनेकों गुण होते हैं जिनमें प्रकाशीय गुण विशिष्ट स्थान रखता है. रत्नों के अंदर कई रंगों की आभा छिटकती रहती है जिसे गौर से देखने पर विशेष आभा और चमक का भी अनुभव होता है. रत्नों की जांच के समय इसमें मौजूद प्रकाशीय गुण भी सहायक होता है. इसी की सहायता से रत्नों की सत्यता ज्ञात की जाती है.

रत्न पहचान विधि (How to recognize an effective gem)
रत्नों की जांच स्पेक्ट्रम द्वारा की जाती है. स्पेक्ट्रोमस्कोप में रत्नों से निकलने वाली रोशनी अलग अलग रंगों के स्पेक्ट्रम में बंट जाती है. इस विधि से रंग के माध्यम से रत्नों को पहचानना आसान हो जाता है. कुछ रत्न ऐसे भी हैं जिनमें प्राकृतिक रोशनी में और कृत्रिम रोशनी में अलग अलग आभा होती हैं. पुखराज की विशेषता है कि यह सूर्य की रोशनी में अधिक चमकीला नज़र आता है जबकि बल्ब की रोशनी में इसकी चमक कम हो जाती है. इसके विपरीत पन्ना और माणिक्य बल्ब की रोशनी में सूर्य के प्रकाश से अधिक चमकीला दिखाई देते हैं. हीरा एक ऐसा रत्न है जिसमें प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी दोनों में ही समान अभा रहती है.

रत्न तौलने का मात्रक (Measuring a gemstone)
जिस प्रकार द्रव्य पदार्थों को लीटर में तौला जाता है और अनाज और अन्य वस्तुओं को किलो में तौला जाता है उसी प्रकार रत्नों को भी तौल कर बेचा जाता है. वर्तमान समय में रत्नों को तौलने का मात्रक कैरेट है. पुराने जमाने में इसे तोला, माशा और रत्ती में तौला जाता है. वर्तमान कैरेट प्राणली के अन्तर्गत 200 मिलीग्राम का एक कैरेट होता है. सुनार द्वारा सोने की शुद्धता मापने की विधि में जिस 24 कैरेट, 22 कैरेट, 18 कैरेट सोने की बात की जाती है वह इस पद्धति से भिन्न है. यह मात्रा ज्वेलरी में सोने की मात्रा को दर्शाने के लिए होता है.

रत्न और सावधानी (Gemstone Precautions)
रत्न धारण करते समय कुछ सावधानियों का ख्याल रखना आवश्यक होता है. जिस ग्रह की दशा अन्तर्दशा के समय अशुभ प्रभाव मिल रहा हो उस ग्रह से सम्बन्धित रत्न पहनना शुभ फलदायी नहीं होता है. इस स्थिति में इस ग्रह के मित्र ग्रह का रत्न एवं लग्नेश का रत्न धारण करना लाभप्रद होता है. रत्न की शुद्धता की जांच करवाकर ही धारण करना चाहिए धब्बेदार और दरारों वाले रत्न भी शुभफलदायी नहीं होते हैं.

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