Sanatan Dharm

सनातन धर्म



सनातन धर्म कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं है, जो आपको बताए कि आप इस पर विश्वास कीजिए, वर्ना आप मर जाएंगे। यह इस तरह की संस्कृति नहीं है। यह आपको कुछ ऐसा बताता है, जो आपके मन में सवाल उठाए, ऐसे सवाल जिनके बारे में शायद आपने कभी कल्पना भी नहीं की हो। मानव बुद्धि या समझ की प्रकृति ही खोजने की है। लोगों के भीतर यह जिज्ञासा इसलिए खत्म होती गई, क्योंकि उन पर विश्वास या मत थोपे गए।सनातन धर्म की पूरी प्रक्रिया आपके भीतर प्रश्नों को खड़ा करने के लिए ही है। और सबसे बड़ी बात यह आपके सवालों के ‘रेडिमेड जवाब’ नहीं देता, बल्कि यह आपके भीतर इस तरह से सवाल खड़े करने की गहनता लाता है कि आप खुद ब खुद इन सवालों के जवाब का स्रोत तलाश लेते हैं। तो जिज्ञासा का वो आयाम या स्तर लाने के लिए इसमें कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतने की जरूरत है, ताकि यह एक दूसरी तरह का आध्यात्मिक अध्ययन भर बन कर न रह जाए।

सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि भारत से बाहर भी बहुत सारे लोगों में कुछ चीजों को स्थापित करने की बेचैनी धीरे-धीरे घर करती जा रही है। दूसरे धर्मों के आगे निकल जाने की भावना पैदा हो रही है। इस कोशिश में वह पूरे शाश्वत व सनातन ज्ञान को महज एक पवित्र किताब या ग्रंथ तक सीमित करने की कोशिश कर रहे हैं और अपेक्षा कर रहे हैं कि सभी इसका अनुसरण करें। यह कभी हमारा तरीका रहा ही नहीं है। लोग आज यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि हरेक व्यक्ति को गीता का अनुसरण करना चाहिए। जबकि ऐसा नहीं है। अर्जुन ने खुद गीता के उपदेश के दौरान लाखों सवाल किए। अगर आप बस सीधे-सीधे गीता का अनुसरण करेंगे, तो गीता के उपदेश का बुनियादी मकसद ही खो जाएगा।

हमारा बुनियादी मकसद अपने तरीकों को दूसरों पर थोपने की बजाय दुनिया में हरेक इंसान के भीतर खोजने का भाव लाने का होना चाहिए। वैसे भी कोई ‘हमारा तरीका’ नहीं है। हमें किसी खास तरीके या रास्ते की जरूरत ही नहीं है। हमने यह खोजा है और पाया है कि अगर अपने जीवन को इस तरह से संचालित करें तो हमेशा एक बेहतर परिणाम मिलेगा - व्यक्ति के लिए भी और एक बड़े स्तर पर समाज के लिए भी। लेकिन फिर भी हम यह नहीं कह रहे हैं कि ‘बस यही तरीका’ है। इस पर रोज सवाल उठाए जा सकते हैं - लाखों सवाल पूछे जा सकते हैं। अगर आप सवालों से डरते हैं तो इसका मतलब है कि आपका तरीका, आपका विश्वास एक बेहद कच्ची जमीन पर खड़ा है, जो मेरे दो-चार सवाल पूछते ही भरभरा कर गिर पड़ेगा। अगर आप सच्चाई पर खड़े हैं तो मैं आपसे लाखों सवाल भी पूछ लूं तो दिक्क्त क्या है? सवालों से दिक्कत तभी है, जब आप झूठ पर खड़े होते हैं। कभी कोई सवाल गलत नहीं होता, हां जवाब गलत हो सकते हैं।




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